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नवअंकुरण रिहैबिलिटेशन सेंटर में मनोवैज्ञानिक और एडिक्शन काउंसलर द्वारा शराब/नशापीड़ितों की काउंसलिंग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है शराब/नशे की समस्या से जूझ रहे लोगों की मदद करने में। यहाँ कुछ तरीके हैं जिनसे मनोवैज्ञानिक और एडिक्शन काउंसलर द्वारा काउंसलिंग मदद करती है:
1. नशे की समस्या की पहचान: मनोवैज्ञानिक नशे की समस्या की पहचान करने में मदद करते हैं और इसके कारणों को समझने में मदद करते हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि व्यक्ति नशे की आदत के पीछे क्या मानसिक, शारीरिक या सामाजिक कारण हो सकते हैं। इसके बाद, यह जानकारी व्यक्ति के उपचार प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाती है।
2. व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान: मनोवैज्ञानिक व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं जो नशे की समस्या से जुड़ी हो । मनोवैज्ञानिक इन समस्याओं की पहचान करने और उनका समाधान खोजने में मदद करते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि व्यक्ति किसी पारिवारिक संकट या नौकरी की समस्या से जूझ रहा है, तो काउंसलर उसे मानसिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उपाय सुझाते हैं ताकि वह नशे की आदत से बाहर निकल सके।
3. आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बढ़ाना: मनोवैज्ञानिक आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बढ़ाने में मदद करते हैं जो नशे की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए बहुत जरूरी है।जब व्यक्ति अपने अंदर की ताकत और आत्म-सम्मान को महसूस करता है, तो वह नशे की आदत से बाहर निकलने में सक्षम होता है।
4. नशे की समस्या से निपटने के लिए रणनीतियाँ विकसित करना: मनोवैज्ञानिक नशे की समस्या से निपटने के लिए रणनीतियाँ विकसित करने में मदद करते हैं जो व्यक्तिगत समस्याओं को हल करने में मदद करती हैं। इनमें तनाव प्रबंधन, भावनात्मक संतुलन बनाए रखना, सामाजिक दबावों का सामना करना, और नशे की आदत से बचने के लिए बेहतर विकल्पों की पहचान करना शामिल होता है। ये रणनीतियाँ व्यक्ति को नशे से दूर रहने में मदद करती हैं और उसे मानसिक रूप से मजबूत बनाती हैं।
5. समर्थन और मार्गदर्शन: नशे की आदत से मुक्त होने की प्रक्रिया लंबी और कठिन हो सकती है। इस दौरान मनोवैज्ञानिक और एडिक्शन काउंसलर निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करते हैं। काउंसलिंग से व्यक्ति को यह महसूस होता है कि वह अकेला नहीं है, और उसे अपनी यात्रा में लगातार सहायता मिलती रहती है।
6. मानसिक तनाव और चिंता को कम करना: शराब या नशे की लत अक्सर मानसिक तनाव, चिंता और अवसाद के कारण होती है। मनोवैज्ञानिक इन समस्याओं का इलाज करने के लिए विभिन्न तकनीकों का प्रयोग करते हैं जैसे कि कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (CBT) या रिलेक्सेशन तकनीकें। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और नशे की लत को छोड़ने में मदद मिलती है।
7. परिवार और समाज की भूमिका: काउंसलिंग का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि मनोवैज्ञानिक व्यक्ति के परिवार और समाज को नशा मुक्ति की प्रक्रिया में शामिल करते हैं। परिवार को यह समझने की आवश्यकता होती है कि नशे से पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं और मानसिक स्थिति का सही मूल्यांकन कैसे किया जाए और उसका समर्थन कैसे किया जाए।
नवअंकुरण रिहैबिलिटेशन सेंटर में नशा पीड़ितों को अच्छा वातावरण व स्वच्छ ताजी हवा में बैठने के लिए शानदार व्यवस्था इंडोर गेम्स कैरम,चेस,लूडो वह अन्य खेलकूद की गतिविधियां कराई जाती है
इन सभी उपायों के माध्यम से, मनोवैज्ञानिक और एडिक्शन काउंसलर नशा मुक्त जीवन की दिशा में व्यक्ति को सही मार्ग पर चलने के लिए तैयार करते हैं, जिससे न सिर्फ उनका व्यक्तिगत जीवन बेहतर होता है, बल्कि उनका सामाजिक जीवन भी मजबूत बनता है।
नशा मुक्ति केंद्र इंदौर: नवअंकुरण रिहैबिलिटेशन सेंटर, इंदौर एक समर्पित संस्था है जो नशा और शराब की लत से पीड़ित लोगों को स्वस्थ और नशामुक्त जीवन देने के लिए कार्यरत है। यह सेंटर नशे को एक बीमारी मानते हुए इसका उचित इलाज करने में विश्वास रखता है।